केदारनाथ मंदिर का इतिहास, रहस्य व कहानी | Kedarnath Temple History In Hindi

प्राचीन काल से चली आ रही हिंदुओं कि एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान में से एक केदारनाथ के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। लोगों का मानना है कि केदारनाथ के दर्शन से अपने जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसी कारण यहां भारत के कोने कोने से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यह उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारत में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 3593 फीट है यह एक भव्य एवं विशाल मंदिर है इतना ऊंचा मंदिर कैसे बना इसकी किसी को जानकारी नहीं है

आज इतनी ऊंची इमारत की शायद कल्पना भी नहीं की जा सकती। उत्तराखंड में दो प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है जोकि बद्रीनाथ और केदारनाथ के नाम से जाना जाता है। लोगों की मान्यता है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ की यात्रा करने से पहले केदारनाथ के दर्शन नहीं करता उसकी यात्रा निष्फल मानी जाती है। इस Kedarnath Temple History से जुड़े कई अनसुलझे रहस्य हैं चलिए जानते हैं केदारनाथ के इतिहास के बारे में ।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास, रहस्य व कहानी | Kedarnath Temple History In Hindi
केदारनाथ मंदिर का इतिहास, रहस्य व कहानी | Kedarnath Temple History In Hindi

 

केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History)

लोग यहां 1000 वर्ष पहले से यात्रा करते आ रहे हैं, तथा यह तभी से प्रसिद्ध भी है । लेकिन इस मंदिर से जुड़ी हुई जानकारी कि यह कब का है इस पर कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। सभी लोग इस पर अपना अलग-अलग मत देते हैं, राहुल सांकृत्यायन के अनुसार या मंदिर 12 वीं शताब्दी पूर्व की है। लोग मानते हैं कि यह मंदिर पांडवों के समय 7वीं शताब्दी में महाभारत के पांडवों ने भगवान शिव को यहां स्थापित किया जो अधिक साल पुराना हो जाने के कारण या ध्वस्त हो गया एक शताब्दी बाद उसी स्थान पर गुरु शंकराचार्य द्वारा इस पवित्र मंदिर का दोबारा निर्माण किया गया।

प्रचलित कथा

प्रचलित कथा में से एक कथा यह भी है – ज्योतिर्लिंग की स्थापना का की कथा का इतिहास यह है कि हिमालय के केदार पर्वत पर भगवान विष्णु के ही दो अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।

केदारनाथ में पंच केदार नाम से एक स्थान बहुत हि प्रसिद्ध है। इसके बारे में ऐसा माना जाता है कि एक बार कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडव अपने भाई हो कौरवों की हत्या करने के बाद भगवान शिव के पास माफी मांगने के लिए गए लेकिन भगवान शिव उनको माफ नहीं करना चाहते थे इसीलिए अपना रूप परिवर्तित करके नदी और बैल का रूप धारण कर लिया और पहाड़ों में छुप गए लेकिन भीम ने उन्हें फिर भी पहचान लिया। भगवान शिव गायब होने की कोशिश करते रहे लेकिन भीम ने उनकी पूछ पकड़ ली और वह पांडवों को माफ करने के लिए मजबूर हो गए।

भगवान शिव जहां गायब हुए उसे आज ‘गुप्तकाशी के नाम से जाना जाता है यहां से गायब होकर भगवान शिव 5 रूपों में प्रकट हुए – रुद्रनाथ में उनका चेहरा तुंगनाथ में हाथ, महेश्वरी में उनकी पेट, केदारनाथ में कूल्हा तथा कल्पेश्वर में उनकी जटा। इन्हें पांचवा स्थान को मिलाकर आज केदारनाथ में पंच केदार के नाम से जाना जाता है।

केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने का सही समय

केदारनाथ मन्दिर दर्शन करने के लिए सुबह 6:00 बजे खुलता है। दोपहर में 3-4 बजे तक पूजा होती है और उसके बाद मन्दिर को फिर से बन्द कर दिया जाता है। फिर से शाम को 5 बजे लोगों के दर्शन करने के लिए मन्दिर को खोल दिया जाता है। पंचमुख शिव की प्रतिमा को खूब श्रृंगार करने के बाद 7 से 8 बजे तक रोज आरती की जाती है । रात में 8 बजे से पहले ही केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर का दरवाजा बन्द कर दिया जाता है। केदारनाथ में लोग इसके शुल्क जमा कराकर अपना रसीद प्राप्त करते हैं और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा करते है या प्रसाद ग्रहण करते हैं।

केदारनाथ मंदिर जब खुला रहता है तब आप इसके दर्शन कर सकते हैं, लेकिन हां यहां पर अधिक भीड़ होने की वजह से आपको इंतज़ार भी करना पड़ सकता है, क्योंकि यहां बहुत ज्यादा भीड़ होता है, जिससे आपको थोड़ी बहुत कठिनाइयों का सामना करना भी पड़ सकता है। दर्शन करने का सही समय आपको मालूम चल गया होगा तो अब आप सही समय के अनुसार वहां पर जा सकते हैं।

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प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की उचाई, लम्बाई और चौड़ाई कितनी है ?

इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 85 फूट, लंबाई लगभग 187 फूट और चौड़ाई लगभग 80 फूट है। यह आंकड़ा अनुमानित है। इसकी दीवारें 12 फूट मोटी हैं, तथा यह मंदिर लगभग 3584 मीटर (11,758 फूट) ऊंचा है, जिसे 6 फूट ऊंचे एक चबूतरे पर बनाया गया है। इसे कत्यूरी पत्थरों से मजबूती के साथ बनाया गया है। जिससे यह बहुत ही बजबूत है। केदारनाथ मंदिर की एक बात हैरान कर देती है कि कैसे इतने भारी पत्थरों को इतना अधिक ऊंचाई पर ले जाने के बाद इन्हें मंदिर की ढांचा तैयार की गई होगी।

ऐसा विशेषज्ञों का मानना है कि पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग जैसे तकनीक का प्रयोग किया गया होगा, क्योंकि इस तरह के तकनीक ही मंदिर को बीच में खड़े करने में सहायक है। इसे बहुत ही कठिनाई और तकनीक के साथ तैयार किया गया है। जो आज के समय में यह सायाद ही मुमकिन हो पाए।

केदारनाथ मंदिर कहां पर स्थित है ?

यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह तीन तरफ से ऊंचे पहाड़ों [ केदारनाथ (22000 फीट), खर्चकुंड (21,600 फीट) और भरतकुंड (22,700 फीट)] से घिरा हुआ है। इसकी ऊंचाई विशेषज्ञों के द्वारा बहुत अधिक मानी जाती है क्योंकि इस समय मे कोई भी इसके उम्मीद नहीं करता है। केदारनाथ न केवल पहाड़ बल्कि यह पांच नदियों का संगम भी है, जिसमें सरस्वती, क्षीरगंगा, मंदाकिनी,स्वर्णगौरी और मधुगंगा भी शामिल है। इन नदियों में से कुछ का अस्तित्व ही मिट गया है, लेकिन आज भी अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी को यहां पर देखा जा सकता है, जिसमें सर्दियों में भारी मात्रा में बर्फ और बारिश की वजह से जल की बहुत ज्यादा मात्रा देखने को मिलती है।

केदारनाथ मंदिर का फाटक  कब खुलता है ?

यहां निरन्तर बर्फबारी होने के कारण केदारनाथ मंदिर सहित इसके आसपास के क्षेत्र बंद रहते हैं। केदारनाथ मंदिर के फाटक  हर साल लगभग 15 नवम्बर के आसपास दीपावली के दो दिन बाद ही भाई दूज को सामान्यतः बंद हो जाता है और 6 महीने लगातार बंद रहने के बाद, लगभग अप्रैल और मई महीनेे के बीच में अक्षय तृतीया के दिन खोला जाता है। बंद फाटक के दिनों में केदारनाथ मंदिर में स्थापित भगवान शिव शम्भू के उत्सव डोली को ऊखीमठ में लाया जाता है और वहीं भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना आदि की जाती है।

मंदिर के फाटक  को खोलते वक्त केदारनाथ मंदिर की स्थिति बिल्कुल ही पहले जैसे रहती है, जिस स्थिति में उस मंदिर को पहले बंद किया गया था।  फाटक  के खुलने के बाद कुछ दिनों में ही मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ आने शुरू हो जाती है। कुछ लोग केदारनाथ मंदिर के फाटक  खुलते वक्त भी इसे देखने के लिए यहां उपस्थित रहते हैं और भगवान शिव के साक्षात अपने आंखो से दर्शन करते हैं।

सबको इस समय का बहुत ही दिनों से इंतज़ार रहता है, और इसी कारण यहां पर इतनी भीड़ भी होती है। फाटक खुलने के बाद लोग यहां आते रहते है तथा भीड़ बिल्कुल भी कम नहीं होती, पहले जैसा ही रहता है। अब आपको मालूम चल जाएगा कि केदारनाथ मंदिर के फाटक कब खुलता है और कब बंद होता है।

प्रसिद्ध मंदिर केदारनाथ की यात्रा करते समय पर्यटन निम्न बातों का ध्यान रखें

बहुत से लोग यात्रा करने तो चले जाते हैं लेकिन उनको जाने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें नहीं मालूम होती है जिनकी वजह से उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है यहां आपके साथ में ऐसा न हो इसीलिए, सबसे पहले आपको नीचे दिए गए केदारनाथ की यात्रा करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यह जरूर पढ़ें –

  • केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई करने से पहले शारिरिक और मानसिक रूप से बिल्कुल फीट होना बेहद जरूरी है। शारीरिक रुप से बीमार व्यक्ति को यहां जानें का सलाह नहीं दिया जा सकता।
  • केदारनाथ धाम की यात्रा करते समय एक स्टिक खरीद लें। इससे केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई करने में दिक्कत नहीं होगी तथा आपको मदद मिलेगी।
  • केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई सूर्योदय से पहले ही शुरू कर दें, क्योंकि धूप में चढ़ाई करने से थकान ज्यादा महसूस होती है। इसके साथ ही सूर्यास्त से पहले ही चढ़ाई पूरी करने की कोशिश करें, क्योंकि पहाड़ों का रास्ता रात में चढ़ाई करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रहता है।
  • केदारनाथ की चढ़ाई बहुत तेजी से न करें बल्कि धीरे-धीरे पूरा करें, क्योंकि जल्दी-जल्दी चलने से आपको बहुत थकान हो सकती है।
  • पहाड़ पर चढ़ाई करते समय पानी ज्यादा पीना चाहिए, क्योंकि प्यास लगने से थकान ज्यादा महसूस होता है। और चलते रहने से शरीर में पानी की कमी होती रहती है।
  • पहाड़ पर चढ़ते समय अधिक मात्रा में कोई भी भोजन ना  करें, नहीं तो आपको पेट दर्द और सिर दर्द आदि समस्याएं भी हो सकती है।

यहां यात्रा करते वक्त क्या-क्या सुविधाएं मिलती है ?

  • पहाड़ पर चढ़ने के लिए हेलीकॉप्टर, घोड़ा, पालकी और पिट्ठू वगैरह आदि की व्यवस्था उपलब्ध होती है।
  • चढ़ाई करते समय कई जगहों पर पर्यटकों को पीने के लिए पानी का नल और बाथरूम आदि की व्यवस्था है, जिसे कोई भी बिना किसी शुल्क के बिना पैसे दिए ही उपयोग कर सकते हैं। पहाड़ों से गिरने वाला पानी भी शुद्ध होता है, जिसका सेवन कई लोग करते है और आप भी पीने वाले पानी की तरह उपयोग कर सकते हैं।
  • जगह-जगह पर ढाबा और भोजन की दुकान आदि की सुविधा भी उपलब्ध है।
  • मंदिर के आसपास खाना खाने और रात को ठहरने के लिए बहुत सारे होटल और कैंप की सुविधा उपलब्ध है। जिसका आप वहां ठहरने के लिए उपयोग कर सकते है।

केदारनाथ की यात्रा क्यों करना चाहिए?

अब तक हमारे इस लेख के अनुसार शायद आपको अंदाजा हो गया होगा कि हमें केदारनाथ की यात्रा क्यों करनी चाहिए क्योंकि मैं उम्मीद करता हूं कि आपको इतनी जानकारी होने पर आपको केदारनाथ धाम इस अजीब, अद्भुत प्राचीन मंदिर को देखने की इच्छा जरूर करती होगी।

लोग मानते हैं कि केदारनाथ धाम की यात्रा करने से आपने जो जीवन में जितने भी कुकर्म या अन्य कोई पाप किया है तो केदारनाथ मंदिर के अंदर विराजमान शंकर भगवान के दर्शन करने पर आप आपके जीवन के सारे कुकर्म और अन्य सभी पाप मिट जाते हैं और फिर से आप अपने जीवन को सही से और पूरे सच्चे मन से अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं। कुछ लोग यहां पर्यटक के रूप में इस अद्भुत मंदिर को देखने के लिए आते हैं।

यहां पर दूर-दूर से लोग पहाड़ों के बीच इस विशाल मंदिर के दर्शन के लिए तथा पहाड़ों के बीच खुद को आनंद में जीवन व्यतीत करने के लिए यहां पर आते रहते हैं। सर्दियों के बीच यहां बर्फ में लिपटी हुई पहाड़ की चोटियां सबको आकर्षक और लोभित करती हैं। लोग इसे देखना और अपने कैमरे से सुंदर तस्वीर को लेना बहुत पसंद करते हैं। यात्रा के दौरान आपको बहुत से नई चीजों को देखने को मिलेगा और यहां आने से बहुत कुछ आपको सीखने को मिलेगा। आपको भी यहां पर जरूर आना चाहिए।

यहां बहुत सी फिल्मों की शूटिंग भी होती है। सुशांत सिंह राजपूत जिनकी अभी मृत्यु हो गई है  उनकी एक प्रसिद्ध फिल्म ‘केदारनाथ’ की शूटिंग यहीं पर हुई इस फिल्म में केदारनाथ में भूस्खलन से हुई एक दिल दहला देने वाली सच्ची घटना पर आधारित फिल्म की कहानी है। अगर आप फिल्म के शौकीन हैं तो केदारनाथ जाने से पहले उस फिल्म को आपको जरूर देखना चाहिए उससे आपको पहले ही बहुत सी जानकारी उस के माध्यम से आपको मिल जाएगी।

निष्कर्ष-

मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा केदारनाथ के बारे में यह लेख से आप को बहुत जानकारी मिली होगी और आपको यह बहुत ही पसंद आई होगी। अब आप केदारनाथ जाना चाहते हैं तो जरूर जाइए और यह लेख कैसा लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताइए,

 धन्यवाद।

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FAQs-

Q – केदारनाथ कौन से महीने में जाना चाहिए?

Ans – आप मई और जून में केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने जा सकते हैं, क्योंकि इस समय केदारनाथ मंदिर जाने पर बारिश के साथ-साथ ठंड भी कम पड़ती है

Q – केदारनाथ की चढ़ाई में कितना समय लगता है?

Ans – नॉर्मल व्यक्ति को गौरीकुंड से केदारनाथ धाम जाने में करीब  5-6 घंटे का समय लगता है अपनी यात्रा की शुरुआत सुबह जल्दी करें ताकि दिन तक आप आराम से केदारनाथ धाम पहुंच सके.

Q – केदारनाथ की फेमस चीज क्या है?

Ans – केदारनाथ मंदिर या चार धाम यात्रा में से एक है, जो कि उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की गोद में बसा है। केदारनाथ हिमालय श्रृंखला के बीच एक बहोत प्रमुख तीर्थस्थल है, जहां भगवान शिव जी की ज्योर्तिलिंग स्थापित है। केदारनाथ मंदिर का ये ज्योर्तिलिंग सभी 12 ज्योर्तिलिंगों सबसे महत्वपूर्ण और फेमस है,

Q – केदारनाथ में बर्फ कब गिरती है?

Ans – केदारनाथ धाम जो की लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पर मई और जून जैसे गर्मी के महीनों में भी काफी बर्फबारी होती है तो बारिश  और बर्यफ गिरना आम बात है

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